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25 Jun 2021 · 1 min read

अल्फाज…।

किसको अपना समझूँ
किसको पराया समझूँ
सब तो अपने ही है
किसको बेगाना समझूँ।

ये वादियाँ, यह दुनिया
ये गाते हुए पंछी
कैसे कह दू इनसे
मुझको तुमसे प्यार नहीं है।

मैं तो ठहरा आवारा,प्रेमी कवि
सबसे प्यार करता हूँ।
किसी से भेदभाव नहीं करता
प्रेम सुधा का समान जल बरसाता हूँ।

Language: Hindi
2 Likes · 298 Views
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