अल्फाज तेरी मौहब्बत के
छिटकी है हल्की चांदनी, रात का ये साया है!
मेरी नशीली आंखों में,तेरा ही सुरूर छाया है!
तेरे साथ बिता जो पल,वो फिर याद आया है!
देख तेरी रंगत का रंग, मेरी रूह में समाया है!
ये हैं वो अल्फाज तेरी मौहब्बत के!!
हवा मैं है शोर और,देख “सुषमा”खामोश है!
जाम नही पास मेरे,दिल फिर भी मदहोश है!
तन्हाई का आलम और,लगे तेरा आगोश है!
होश में होकर भी ये, तेरी “अदब” बेहोश है!
ये हैं वो अल्फाज तेरी मौहब्बत के!!
मदिरालय में मेरे भरा,तेरी यादों का जाम है!
लब खुल ना जाएं कहीं, बस तेरा ही नाम है!
पागल दीवानी की, यही सुबह और शाम है!
उठा कलम लिख मलिक, ये तेरा ही काम है!
ये हैं वो अल्फाज तेरी मौहब्बत के!!