अल्फाजो से,आश्नाओ से
अक्सर अग्यार रहे हम अल्फाजो से
वो अजीज अदीब हुआ मेरे सवालो से
अफसुर्दा-ए-अफसोस रहा मुझको यूँ
अंजुमन भी हमारा अदम रहे उनके जवाबो से
अक्ल-ए-अंदाजा लगा रहे थे अंजाम का
हाथ मलते रह गये जब निकले उनके ख्वाबो से
अश्किया दिल था या हालात थे आईना देख
आईने मे मै,अश्किया,अगलात-ऐ-असीर खुद हम रहे अरमानो से
अल-अलीम-ओ-अदा क्या अजब रहा उनका
अबद अब्तर हुए हम उनके आसियानो से
कैसे फिर मोड़ दूँ उन पलो को
जो संजोकर रखे थे मैंने जमानो से
खूब लिखते हो “राव” पर गजल अधूरी रह गयी दिल के दरारों से
चाहे सजा ले अब अरमानो से,ख्वाबो से,अल्फाजो से,या आश्नाओ से ….. ….. ……
शक्ति..
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अजीज- प्रिय
अदीब-विद्वान,जानकार
अफसुर्दा-ए-अफसोस- उदासी के साथ पछतावा
अंजुमन-परिसर
अदम- अस्तित्वहीन
अश्किया- कठोर
अगलात-ए-असीर- गलतीयो के कैदी
अल-अलीमओ-अदा- बुध्दि की कला लिए हुए हुस्न
अबद-अनन्तकाल
अख्तर- नष्ट
आश्ना-प्रेम,मित्