” वक्त “
वक्त की क्या औकात कि ,
हमें बता सके कौन है हमारा अपना – पराया ।
हम तो वो परिंदे है ,
हंस कर वक्त को भी है अपना बनाया ।
✍️ ज्योति ✍️
वक्त की क्या औकात कि ,
हमें बता सके कौन है हमारा अपना – पराया ।
हम तो वो परिंदे है ,
हंस कर वक्त को भी है अपना बनाया ।
✍️ ज्योति ✍️