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17 Aug 2022 · 10 min read

अल्फाज़ ए ताज भाग-9

1.

बेमकसद जिंदगी सुबह शाम कट रही है।
इसको ना कोई भी पहचान मिल रही है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

2.

एक मुद्दत से जिंदगी में गम तारी है।
कोई तो पूँछो उससे क्या बीमारी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

3.

इन लबों से बोलना बेकार है।
नज़रों से समझो गर प्यार है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

4.

यूं तो जिन्दगी में खुशी गम हजार है।
दिल से जियो इसमें दिन बस चार है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

5.

खुदा के अलावा किसी से भी तवक्को नहीं है।
जरूरत से ज्यादा कुछ चाहिए मुझको नहीं है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

6.

तुम्हारी इस मोहब्बत के मैं काबिल नहीं हूं।
तुम पा लोगे मुझको पर मैं हासिल नहीं हूं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

7.

कोई कासिद उसकी खबर लेकर आए।
जिसे बड़ी मुद्दतों से हमने देखा नही है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

8.

कोई खैर-ओ-खबर मेरे यार की नही है।
जानें क्यों है रूठा कोई बात भी नही है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

9.

सच्चे मज़हब का पैगाम लेकर आए हैं।
रसूल ए खुदा तो इस्लाम लेकर आए है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

10.

बारगाह ए इलाही में तेरी खैर मांगता हूं।
तू सदा रहे सलामत बस यही चाहता हूं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

11.

तेरी रूह में उतर कर मैं तेरे इश्क में फना हो जाऊं ये जी चाहता है।
घुलकर फिज़ाओं में मैं तुझको खुशबू सा महकाऊं ये जी चाहता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

12.

किस्मत भी यारों अजीब सी होती है।
कभी मेहरबां तो कभी रूठी रहती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

13.

ना जानें कब से मैं बे एतबार हो गया हूं।
अपनों की नज़र में मैं बेकार हो गया हूं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

14.

अक्सर ही आंखों की नमी को छुपा लेते है।
अपने लबों से कभी नामे बेवफ़ा ना लेते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

15.

यूं तो गुस्ताख नज़रें गुनाह ए इश्क करती है।
तमाम उम्र दिल को सजा बेवजह मिलती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

16.

फलख के चांद तारों मेरी झोली में आ जाओ।
तुम्हारी ख्वाहिश मेरे महबूब ए इश्क ने की है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

17.

आज नज़रे तुम्हारी क्यों इतनी ज्यादा ख्वाबीदा ख्वाबीदा हैं।
शायद मोहब्बत के अहसास ने तुझे रात भर सोने ना दिया है।।

ख्वाबीदा=नींद में

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

18.

जिंदगी के शोर से ऊब गया हूं मैं।
गमों के समन्दर में डूब गया हूं मैं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

19.

तुझसे ही है मेरी जिन्दगी का हर राब्ता।
यूं मेरे ही रहना तुम्हे है खुदा का वास्ता।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

20.

दिल की तमन्ना में आरजूओं से तुम आए थे।
ख्वाहिशे आरजूओं में तुम ही तुम समाएं थे।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

21.

जिनके लिए दर बदर भटकता रहा उम्र भर।
वो मिले भी मुझे तो मिले अजनबी बन कर।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

22.

मोहब्बत के गम ने किसी को ना छोड़ा है।
हमारे भी दिलको इस ज़ालिम ने तोड़ा है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

23.

आज वही दरख़्त काम आया सफर में छाया बनकर।
जिसको हमने कभी यूं ही बारिश में लगा दिया था।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

24.

हाथों के मिलाने से तकदीर की लकीरे ना मिलती है।
मोहब्बत में सबकी ही ये जिन्दगियां कहां संवरती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

25.

खूबसूरती में लगा दाग चांद सा होता है।
ये दूर से ही बस सबको अच्छा लगता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

26.

जिन्दगी के सारे पल तुम्हारे नाम कर दिए है।
ऐसे तुम्हारी मोहब्बत में गुलफाम बन गए है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

27.

यूं मोहब्बत का हासिल क्या हम बताए।
जिंदगी भर रहे गाफिल क्या हम बताए।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

28.

तुम्हारे दिए कुछ दर्द आज भी समेट के रखे है।
जब कभी तुम मिलोगे तो फुरसत में दिखाएंगें।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

29.

उम्मीद का दामन थामे थामे तमाम उम्र काट दी।
पर जिंदगी की दुस्वारियां है कि जाती ही नहीं है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

30.

उनका लिखा कलाम सा लगता है।
पढ़के सुकूंने अहसास सा होता है।।

दर्द ए जख्म हवा सा उड़ जाता है।
हर अल्फाज़ मेहरबां सा लगता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

31.

मैं तुझे पा नही सकता,
और तू मेरा हो नही सकता।।
खुदाया कैसा इम्तिहान है,
दिल धड़कन सब परेशान है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

32.

ना अपनी फिकर ना ज़माने की खबर।
इश्क यूं इंसा को बेपरवाह कर देता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

33.

जब भी तुम्हारा जिक्र आया।
मैने आंखे अदब से झुका ली।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

34.

मेरी वफा पर सवाल करते हो।
कभी खुद पर भी निगाह डालो।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

35.

इश्क है एक आग का दरिया,,,
यह बात यहां पर हर कोई ही जानता है।

डूबती हैं इसमें इश्के कश्तियां,,,
फिर भी इंसा इसे करने से ना मानता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

36.

उसकी हर निशानी मिटा दी है।
ताकि उसको याद ना करूं।।

पर ज़ालिम दिल में समाया है।
चाह कर भी भूल ना पाऊं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

37.

हद से ज्यादा जुनू सब तबाह कर देता है।
फिर चाहे वो जंग का हो या हो इश्क का।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

38.

इश्क की निगहबानी कहां हो पाती है।
ये वो आग है जो बुझाने से और बड़ जाती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

39.

दुआओं में बस तेरी खैर मांगता हूं।
जीना ना कभी तेरे बगैर चाहता हूं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

40.

तमाम उम्र जुदाई ए इश्क में काटी है।
जिन्दगी तू हमें गमों से क्या डराती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

41.

जिस्म के हर हिस्से में तेरे नाम लिखा है।
यूं तुम खुद को कहां-कहां से मिटाओगे।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

42.

जीने में हमने हर सांस की ही कीमत चुकाई है।
फिर भी ऐ जिंदगी तुझसे हमने वफ़ा निभाई है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

43.

दिन भर ही सहते रहे धूप।
फूल अब शबनम मांगते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

44.

वह बड़ा ही गहरा लिखता है।
लफ़्ज़ों को जुबां बना देता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

45.

वो अपनी सादगी भरी दिलकश बातों से।
हर किसी को अपना दीवाना बना लेता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

46.

हमने देखा है ऐसा शख्स।
जिसमें है खुदा का अक्स।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

47.

गरीब आदमी का भी जीने में अजब हाल होता है।
रोज ही कुआं खोदता है रोज ही प्यास बुझाता है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

48.

छोटी बच्ची सबको अपने नए कपड़े दिखा रही है।
दिल आज खुशियों से भरा है वह ईद मना रही है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

49.

गर्दिशों की हमारी जिंदगी है।
मुफलिसी से अब तक लड़ी है।।

दुआ भी काम आती नही है।
ये मंजिल भी अभी दूर बड़ी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

50.

अगर हमको मिल जाती निज़ामी आसमां की।
तो चांद , तारों को लगाता तुम्हारी खिदमत में।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

51.

आज फिर एक मासूम हवस का शिकार हो गई है।
अभी कल ही तो वह हंस कर सलाम कर रही थी।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

52.

अपने बच्चों का,,,
मैं स्कूल बन गया हूं।

अब ना,,,
मैं फिजूल रह गया हूं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

53.

शहर-शहर घूमता हूं तेरी एक झलक के लिए।
हर सुबह ही तैयार होता हूं इक अंजाने सफर के लिए।।

खामों खाँ नज़रें उठती हैं महफिल में सभी पे।
काश दिख जाए तू यूं ही बस खैर-औ-खबर के लिए।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

54.

शरीफों की महफिल है पर शरीफ दिखता नहीं है कोई।
पढ़े लिखे है यूं तो सभी पर अदीब लगता नहीं है कोई।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

55.

जिन्दगी को खराब कर रहे हैं।
देखो हम भी शराब पी रहे हैं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

56.

हर वक्त में ही हमारा बुरा हो रहा है।
कोई ना मुश्किल-कुशा मिल रहा है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

57.

हवाओं ने आज तेरा जिक्र छेड़ा है।
यूं तेरी यादों को फिर से हवा दी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

58.

जिनकी चाहतों में सारी उम्र गुजार दी है।
देखो अब वही हमको बेवफ़ा कह रहे है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

59.

अहसास बनकर उसके दिलमें उतरते है,,,
बनकर खुशबू फूल की उसमें महकते है!!!
उसकी सूरत-सीरत पे हर कोई मूरीद है,,,
यूं लगे तारे उसकी पेशानी पे चमकते हैं!!!

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

60.

वो महफिले इत्तेफ़ाक आज भी याद है।
जिसमें तुम कभी मिले थे हमको।।

मुहब्बत आज भी वैसी है तुमसे हमारी।
बस जैसे दिलसे आज ही हुई हो।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

61.

वादा करके मुकर गए हो।
तुम कहां इश्क कर पाओगे।।

मुहब्बत एक इम्तिहान है।
इसे यूं ना पास कर पाओगे।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

62.

आज शहर में फिर से धुएं का गुबार उठा है।
शायद दंगें में फिर से किसी का मकान जला है।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

63.

जिंदगी गुलाबों के फूल सी होती है।
खुशी कम गम बहुत ज्यादा देती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

64.

शम्मा ए इश्क में ये परवाने फना होते है,,,
किसी की ना गलती ये खुद ही जलते है!!!

इल्ज़ाम ना दो शम्मा को इनके मरने का,,,
आशिक दास्तां ए इश्क यूं ही लिखते है!!!

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

65.

ज़रूरी नहीं कि हर कली दुल्हन की सेज पर सजे।
कुछ कलियों के हिस्से में जनाज़े भी लिखें होते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

66.

अल्फाज़ भी रोते है अहसांसों के साथ।
अगर दर्द की कलम हो शायरों के हाथ।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

67.

परिन्दें की जिन्दगी कफस में गुज़र रही है।
जानें किस जुर्म की उसको सजा मिली है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

68.

इन अमीरों की जिन्दगी के भी अजब शौक होते है।
इक शख्स को देखा परिंदों को खरीदकर उड़ा रहा था।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

69.

महकते गुलशन में भंवरों को आता देखकर।
कलियों की दिल की तमन्नाएं मचल गयी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

70.

यूं पेशानी पर चमक ऐसे ही ना मिल जाती है।
गर इसे पाना है तो इबादत में लगे रहो इंसान।।

हर मुश्किल ही तेरी जिन्दगी की मिट जायेगी।
गर खुदा खुश होके तुझ पे हो जाए मेहरबान।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

71.

मेरी खामोश जिन्दगी को साज दे रहा है।
वो मेरी लिखी ग़ज़लों को आवाज़ दे रहा है।।

सुनकर उसे सुकूं का अहसास हो रहा है।
वो मेरी उड़ानों को ऊंची परवाज़ दे रहा है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

72.

काश सुन पाता तू मेरी धड़कनों की सदा।
तो फिर कभी ना कहता यूं हमको बेवफा।।

किसी से तवक्को नही है खुदा के सिवा।
उससे बस तुझे मांगता हूं ए मेरे हमनवां।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

73.

ऐ खुदा तू मेरी इस जिंदगी का कुछ तो हासिल दे।
मजधार में फसीं मेरी डूबती कश्ती को साहिल दे।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

74.

वक्त ए जलाल जो देखा मैने दूर काली सड़क पर।।
ओझिल ओझिल सा लगे,,,
जैसे पिघला आफताब बह रहा हो उस जगह पर।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

75.

ईश्क में हम बन गए है खुद एक उलझा सवाल।
अब ना अपनी खबर है ना किसी का है ख्याल।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

76.

यूं तो हर किसी की ही जिन्दगी में गम होते है।
किसी में ये ज्यादा तो किसी में ये कम होते हैं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

77.

इस जिंदगी में गम ही गम नुमायां है।
हमने खुद ही इसे जहन्नम बनाया है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

78.

ना जाने क्यूं आफताबे रोशनी मेरे घर आती नही।
जिन्दगी की दीवारों से दर्द की सीलन जाती नही।।

महताब ने भी मुंह फेर लिया है मेरे घर आंगन से।
चिरागों के सहारे ये अंधेरी जिंदगी जी जाती नहीं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

79.

बचपन भी कहीं खो गया है अब इसमें मिलती कहीं शैतानी नहीं।
नींद कैसे आए नौनिहालों को दादी-नानी भी सुनाती कोई कहानी नहीं ।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

80.

कोशिशें तो बहुत हुयी हमारी हस्ती को मिटाने में।
पर कुव्वते जहां में कहां दम था कि हमको हराए।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

81.

जिन्दगी में जब बुरा वक्त आता है तो कोई ना साथ देता है।
देखों खिजा ए पतझड़ में हर पत्ती ने शाख ए शजर छोड़ दी।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

82.

जिन्दगी तुझको हमेशा मेरी खुशियां नागंवार गुजरी।
जब जब भी हमने हंसना चाहा तू तब तब ही रोयी।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

83.

सुलगते अहसासों को हम सबसे ही छुपा लेते है।
गमों को पाकर भी अपने लबों से मुस्कुरा देते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

84.

आपकी हर बात बहुत ख़ास होती है।
ये दूर होके भी दिल के पास होती है।।

हर कोई कहां इनको समझ पाता है।
समझने पर बात वरना राज़ होती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

85.

तू रूह में मेरी कुछ इस तरह समा रहा है।
जैसे फूल कोई गुलशन को महका रहा है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

86.

मेरी खुशियों की खातिर मां ने अपनी हर ख्वाहिश मार दी।
जब भी मैं मुश्किल में पड़ा मां मेरी मुश्किल कुशा बन गई।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

87.

जब जब भी मेरी मां ने मेरे हक में दुआएं की।
तब तब खुदा ने मेरी झोली खुशियों से भर दी।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

88.

खुदा की खुदाई हर किसी के लिए ही होती है।
इसीलिए हर बशर की इस जहां में मां होती है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

89.

तमाम उम्र मैं जिंदगी में आधा अधूरा ही रहा।
तुमको पा कर लगे जैसे मैं मुकम्मल हो गया।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

90.

हम दिल से हमेशा बस तेरे ही हाजतमंद रहेंगे।
मेरे गुलशन ए इश्क में तुमको वफा के फूल ही मिलेंगें।।

गर कभी जो मिलने का मन हो तुम्हारा हमसे।
तो आइने में तुम खुद को देखना तुम में हम ही दिखेंगे।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

91.

क्या किसी ने खुद से जन्नत व जहन्नम देखी है।
हमने तो बस लोगो से सुनी किताबों में पढ़ी है।।

गर दीन पर सवाल करूंगा तो वे अदब कहोगे।
इसलिए हमने भी सबके साथ हां में हां भरी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

92.

हर जगह ही खुदा की निजामी है।
सभी पर ही उसकी निगहबानी है।।

कुछ ना बाकी है उसकी नजरों से।
सब पर ही खुदा की हुक्मरानी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

93.

जर्रे जर्रे में ही खुदा की निशानी है।
उसने ही दी सभी को जिन्दगानी है।।

पत्ता भी ना हिलेगा बिन मर्जी के।
खुदा चाहे तो सेहरा में भी पानी है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

94.

अक्सर हुस्न वाले जिन्दगी में मगरूर होते है।
वो बड़े ही आला है इस झूठे गुरुर में जीते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

95.

कौन समझाए इन इल्म के अदीबों को।
कि खुदा किताबों में ना दिलों में रहते हैं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

96.

अपने गुनाहों की फेहरिस्त ना देखते है।
दूसरों को हर घड़ी नसीहत देते रहते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

97.

बनकर अल्फाज़ किताबों के पन्नो में दफ्न हूं।
कोई रिसालों में हमें भी पढ़े तो थोड़ा सुकूँ पाऊं।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

98.

नज़रे उठाके देख लो हर सम्त खुदाई ही खुदाई है।
अब तुम काफ़िर ही बन गए हो तो कोई बात नहीं।

हिदायतों का दरवाजा खुला है बन जाओ मोमिन।
वरना बादे हिदायत खुदा तुमको करेगा माफ नहीं।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

99.

मेरे मुकद्दर तुझसे ना कोई मेरा गिला है।
तू बस वैसा ही है जैसे खुदा ने लिखा है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

100.

मय्यत पर मेरी सब ही फूट-फूट कर रोए है।
उठाने से भी ना उठेंगे इस कदर हम सोए है।।

सब गुफ्तगू कर रहे है बस मेरे अच्छेपन की।
सबने ही अपने चेहरे बहते अश्कों से धोए है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

Language: Hindi
Tag: शेर
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