अल्फ़ाज़
मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात का अर्थ मालूम है मुझे
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बातों का,मालूम है मुझे
पर कभी तू भी तो कुछ शब्द खुद से कह दे
हाँ मैं अक्स हूँ तेरा ही ,नहीं शक ये मुझे
पर कभी तू भी कुछ रंग मुझ तस्वीर को दे दे
हाँ नहीं पूछा मैंने कि क्यूँ दूर है तू मुझसे
यही चाहत है कि कभी आकर तू खुद ही कह दे….
@?नीलम शर्मा ?