आज़ाद जयंती
अल्फर्ड पार्क में हो रही थी,
अंग्रेजों से गोलीबारी।
एकल ही डटा रहा शेखर,
चलती गोली बारी बारी।
आजाद को कैद पसन्द न था,
पिस्तौल में थी एक ही गोली।
सो खुद को गोली मार लिया,
जय भारत माँ की कह बोली।
माँ का वह पूत दीवाना था,
आजादी फ़क़त इबादत थी।
चौबिस की उम्र में शेखर की,
निज देश के लिये शहादत थी।