Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2019 · 1 min read

“अलौकिक आनंद” #100 शब्दों की कहानी#

इस तस्वीर को देखकर बेटी का मासूम-चेहरा, घुंघराले बाल, मुस्कुराती हुई अदा के साथ बचपन आंखों के सामने झिलमिलाने लगा, खुशनसीब है वह जिसे दादा-दादी व नाना-नानी का मनपूर्वक स्नेहभरा आशीर्वाद मिला, मेरे पति की इच्छानुसार हमें प्रथमबार ही कन्यारत्न की प्राप्ति हुई ।

मैं भी बेटी होने की अलौकिक-आनंद की अनुभूति महसूस कर रही थी । हम दोनों ने पहले ही सोच लिया था, अपने जीवन-बगिया में जो पौधा-रोपा है, वह नन्ही कली के रूप में खिले या फूल के रंग बिखेरे, हमें तो बस जिंदगी संवारना है उनकी, तारीफेकाबिल हैं वे लोग जो बेटा-बेटी को समझते एक-समान ।

Language: Hindi
1 Like · 389 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
*रामपुर दरबार-हॉल में वाद्य यंत्र बजाती महिला की सुंदर मूर्त
*रामपुर दरबार-हॉल में वाद्य यंत्र बजाती महिला की सुंदर मूर्त
Ravi Prakash
"लक्ष्य"
Dr. Kishan tandon kranti
अधूरी हसरत
अधूरी हसरत
umesh mehra
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
Dr MusafiR BaithA
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
अपनों को थोड़ासा समझो तो है ये जिंदगी..
अपनों को थोड़ासा समझो तो है ये जिंदगी..
'अशांत' शेखर
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
एक बछड़े को देखकर
एक बछड़े को देखकर
Punam Pande
बेफिक्री की उम्र बचपन
बेफिक्री की उम्र बचपन
Dr Parveen Thakur
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
नमी आंखे....
नमी आंखे....
Naushaba Suriya
* संवेदनाएं *
* संवेदनाएं *
surenderpal vaidya
दीपावली
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मै शहर में गाँव खोजता रह गया   ।
मै शहर में गाँव खोजता रह गया ।
CA Amit Kumar
★किसान ★
★किसान ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
3277.*पूर्णिका*
3277.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कितने आसान थे सम्झने में
कितने आसान थे सम्झने में
Dr fauzia Naseem shad
संग चले जीवन की राह पर हम
संग चले जीवन की राह पर हम
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इन्सानियत
इन्सानियत
Bodhisatva kastooriya
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
Ram Krishan Rastogi
अपने-अपने राम
अपने-अपने राम
Shekhar Chandra Mitra
मैं भी साथ चला करता था
मैं भी साथ चला करता था
VINOD CHAUHAN
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
' जो मिलना है वह मिलना है '
' जो मिलना है वह मिलना है '
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
विडंबना इस युग की ऐसी, मानवता यहां लज्जित है।
विडंबना इस युग की ऐसी, मानवता यहां लज्जित है।
Manisha Manjari
हमको बच्चा रहने दो।
हमको बच्चा रहने दो।
Manju Singh
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
"प्रेम की अनुभूति"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...