“अलौकिक आनंद” #100 शब्दों की कहानी#
इस तस्वीर को देखकर बेटी का मासूम-चेहरा, घुंघराले बाल, मुस्कुराती हुई अदा के साथ बचपन आंखों के सामने झिलमिलाने लगा, खुशनसीब है वह जिसे दादा-दादी व नाना-नानी का मनपूर्वक स्नेहभरा आशीर्वाद मिला, मेरे पति की इच्छानुसार हमें प्रथमबार ही कन्यारत्न की प्राप्ति हुई ।
मैं भी बेटी होने की अलौकिक-आनंद की अनुभूति महसूस कर रही थी । हम दोनों ने पहले ही सोच लिया था, अपने जीवन-बगिया में जो पौधा-रोपा है, वह नन्ही कली के रूप में खिले या फूल के रंग बिखेरे, हमें तो बस जिंदगी संवारना है उनकी, तारीफेकाबिल हैं वे लोग जो बेटा-बेटी को समझते एक-समान ।