अलि (भँवरा)
अलि (भँवरा)
मधुमास रूत कुसुमित उपवन
झंकृत हर कण अलि गुंजन
किलकित कलियों का मन
पुलकित उन्माद भरा यौवन
नव पंखुड़ियों का घूँघट बेदाग
मोहे भँवरा छेड़ स्नेह मृदु राग
कलि उर संचित चिर अनुराग
मादक भँवरा पी प्रणय पराग
बावरा फिरता मदमस्त सुगन्ध
बेसुध सोता पी मधु मकरंद
कच्ची कोमल कलियों में बंद
जब निशा लुटाती तारों की छंद
ऊषा किरण से कलि स्पंदित
अंगड़ाई ले खुलती मन मुदित
उड़ जाता अलि पी प्रेम अमृत
कलि ढूँढे बैरी भौंरा हो व्यथित
रेखा