अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
चौधरी की चौपाल पर
सुलगते अलावा के चारों ओर
बैठक हर दिन जम जाती है
कंबल लपेटे हुए लोग
सुलगते हुए सवालों पर बात करते
शहर में फुटपाथों पर
ओस से भीगी रजाइयों
में कांपते शरीर किस तरह
जिंदगी से जद्दोजहद करते हैं
कहीं बोरी लपेटे तो कहीं
अखबार की ओढ़कर कनाते
शहर में गर्माहट की तलाश में
कुत्ता भी भटकता रहता है
ना पहले जैसी भट्टी की गर्म राख है
जिसमें कुत्ते रात बिता लिया करते थे
उन सभी के लिए हाड़ कंपा देने वाली
उन से पूछो जिनका कोई घर नहीं होता
पूस की रातें काटना बड़ा कठिन होता है