^^अलविदा ^^
अलविदा अपनी जिंदगी से
अलविदा किसी के प्यार से
अलविदा किसी नगर से
अलविदा फिर संसार से !!
अलविदा तो होना ही था
फिर भी आ गए संसार में
चले जाना था किसी की मोहोब्बत से
न जाने क्यूँ फसे इस भंवर के प्यार में !!
विदाई ऐसी की लौट न सके
फिर किसी शहर के बाज़ार में
ले जाएंगे उठा कर शमशान तक
यही दास्ताँ जो है संसार में !!
करते हैं नित नए नए काम
कहीं चोरी, कहीं डाका ,
कहीं बलात्कार रुखसार में
जब होना है विदा दुनिआ से
तो क्यूँ करते गलत काम हराम के !!
फुर्सत होती है मगर दिमाग से अंधे
बन कर चल रहे हैं , हर राह में
विधाता को तो ऐसे भूले बैठे हैं
जैसे कभी अलविदा ही नहीं होंगे संसार से !!
पैदा हुए, बचपन आया, वो गवाया
जवानी , बनी मस्तानी खो गयी आराम से
देख बुढ़ापा , बने दादा , नाना- बीता जमाना
चल दिए चार कंधो पर फिर सब संसार से !!
यही थी वो परंपरा जो निभानी थी
जिंदगी तो मिली थी पर वो बेमानी थी
हो के प्यार से मिल जुल कर विदा हो जाना
तेरे जाने के बाद “अलविदा “ही कहलाना
“अजीत” अलविदा के बाद सब के दिलों
में बस – बस कर ही तू जाना संसार से !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ