अलविदा
यादें छोड़ जाते हैं पीछे, चले जाते हैं होकर कांधे पर सवार।
कितनो को रुला जाते हैं , नही देखते पलट कर एक बार।।
नियति देखो आंखों में भर आंसू अपने ही अग्नि देते अपनो को।
गले लगते थे जिनके हम देख फ़ोटो रोते हैं अब जार जार।।
दीपेश भान उर्फ मलखान की अंतिम विदाई………..