Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2023 · 1 min read

अलविदा हो गए…!!!!

हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गए…
कुछ यूँ वो जिंदगी से अलविदा हो गए।
कल और आज में हमारी दुनिया बदल गयी…
और हम मोहब्बत में फ़ना हो गए।
तुम सिर्फ़ सामने थे ज़िंदगी में नहीं…
आज हमेशा के लिए लापता हो गए।
हमारे ज़ख़्मों को मरहम की ज़रूरत है…
ये ज़ख्म हमारे संजीदा हो गए।
तुमसे बिछड़कर हम खुद से यूँ बिछड़ गए…
की खुद को ही पहचानना ज़रा मुश्किल हो गया-
हमारे दिल में बसे दर्द अब ज़रा गमज़दा हो गए।
तुम्हें जब कोई मिलेगा तुम्हारी तरह…
तब एहसास होगा गम- ए -जुदाई का-
की मोहब्बत में लोग कैसे गुमशुदा हो गए।
जहाँ हमारी ज़िंदगी मुस्कुराती थी…
आज खाली मोहब्बत के वो मकां हो गए।
अब जिंदगी तुम्हारे संग नहीं…
तुम्हारी यादों में गुजरती है-
वो प्यार के लम्हें अब सिर्फ़ निशां हो गए।
जो कभी मिल ही न सकें…
कुछ इस तरह हम जमीं और तुम आसमां हो गए।
हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गए…
कुछ यूँ वो ज़िंदगी से अलविदा हो गए।।।।
-ज्योति खारी

5 Likes · 1 Comment · 245 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
Mohan Pandey
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
"क्या देश आजाद है?"
Ekta chitrangini
पढ़ो और पढ़ाओ
पढ़ो और पढ़ाओ
VINOD CHAUHAN
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
सच तो आज न हम न तुम हो
सच तो आज न हम न तुम हो
Neeraj Agarwal
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
2388.पूर्णिका
2388.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हिन्दी दोहा बिषय -हिंदी
हिन्दी दोहा बिषय -हिंदी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
There is no shortcut through the forest of life if there is
There is no shortcut through the forest of life if there is
सतीश पाण्डेय
माँ की चाह
माँ की चाह
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हम जंगल की चिड़िया हैं
हम जंगल की चिड़िया हैं
ruby kumari
*सीता नवमी*
*सीता नवमी*
Shashi kala vyas
अभी भी बहुत समय पड़ा है,
अभी भी बहुत समय पड़ा है,
शेखर सिंह
अर्थ  उपार्जन के लिए,
अर्थ उपार्जन के लिए,
sushil sarna
* हिन्दी को ही *
* हिन्दी को ही *
surenderpal vaidya
अकेला बेटा........
अकेला बेटा........
पूर्वार्थ
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
■अहम सवाल■
■अहम सवाल■
*Author प्रणय प्रभात*
हमेशा..!!
हमेशा..!!
'अशांत' शेखर
चॉकलेट
चॉकलेट
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सज गई अयोध्या
सज गई अयोध्या
Kumud Srivastava
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
अब तलक तुमको
अब तलक तुमको
Dr fauzia Naseem shad
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
Loading...