अलविदा नहीं
#दिनांक:-24/2/2024
#शीर्षक:- अलविदा नहीं।
हर एक की बात नहीं,
पर तेरी-मेरी बात जरूर होगी ,
वापस मिले ना मिले कभी,
हर लम्बित याद जरूर होगी।
पर, कोई वादा नहीं ना इरादा रखना,
भरोसे में कमी कुछ ज्यादा ही रखना,
क्या ठिकाना जीवन के डोर का,
आते जाते लहरों के बिह्वल शोर का।
हिसाब किताबों में लिप्त हो रहे,
सुप्तावस्था मौत के अधीन हो रहे,
उम्मीद तब कैसे आसान होगा,
हर समय त्रासद के समान होगा।
कोई कैसे बुलावा प्रेम का भेजेगा??
मोह माया का तीखा तंज कैसे सहेगा??
आशा मूर्छित हो रही दिन-ब-दिन,
नकारात्मकता प्रसारण रातदिन ।
हर तरफ चित्र,नृत्य-गीतों की गूंज होगी,
‘प्रतिभा’ होगी पर प्रतिमा में निहित होगी।
आयेगा रवि रजनी में खो जाने के लिए,
एक और आधुनिक दिल धड़काने के लिए।
अलविदा नहीं,पर उद्घाटित का भी वादा ना दूंगी,
प्रेम पुनर्जीवित अकल्पित अमृत की बूंद बनूंगी।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई