अलविदा दिसम्बर
कि अब फिर जा रहा हर साल के जैसे दिसम्बर है
लगा है दिल मे उठने यादों का गहरा बवंडर है
धरा है बोझ बारह मास का इसके ही कंधों पर
मगर मजबूर बेचारा बना ऐसा कलेंडर है
डॉ अर्चना गुप्ता
31-12-2022
कि अब फिर जा रहा हर साल के जैसे दिसम्बर है
लगा है दिल मे उठने यादों का गहरा बवंडर है
धरा है बोझ बारह मास का इसके ही कंधों पर
मगर मजबूर बेचारा बना ऐसा कलेंडर है
डॉ अर्चना गुप्ता
31-12-2022