अर्थ मिलते ही
अर्थ मिलते ही , शब्द खो जाते है ,
इसी लिए योगी ,खामोश हो जाते हैं ….
रात की धड़कन ,सुन तारे सो जाते है ,
परिन्दे हवाओं के, हवाले हो जाते हैं ….
जाने क्यूँ लोग , कहीं खो जाते हैं,
आँखे झरने मन ,समंदर हो जाते हैं…
ये मौसम भी हमेशा ,मायने नहीं रखता ,
बीज पीपल के , विराट हो जाते हैं ….
नींद विचारों में ,टहलेगी कब तलक ,
थक जायेगी चलो ,अब सो जाते हैं …
क्षमा उर्मिला