अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
माथे पे सौंधी मिट्टी का चंदन हो
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
सारा समर्पण कर के चला हूँ
आँचल भू के मिट्टी में पला हूँ
जेष्ठ के दोपहरी में भी जला हूँ
प्रहरी बन कर सीमा पर भला हूँ
संस्कृति से सजता मेरा चमन हो
माथे पे सौंधी मिट्टी का चंदन हो
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो