Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2020 · 2 min read

अर्थशास्त्र जी !

जब से सोशल मीडिया का चस्का लगा है, कई विचारों से अवगत हो रहा हूँ. कहीं से प्रेम मिल रहा है, तो कहीं से दुत्कार ! सभी फ़ेसबुकियों का टारगेट सरकार ही होती है यानी जिसकी वर्त्तमान में सत्ता होती है, उनके प्रति हम निष्ठुर हो जाते हैं. हम अपनी गलती को नजरअंदाज कर महँगाई, मोब्लिंचिंग आदि को लेकर उसे निकम्मा ठहराते हैं, भले ही हमारे गिरहबान के नीचे कालिख पुती हो….
मैं भी सरकार को गड़ियाने के उद्देश्य से फ़ेसबुक पर पोस्ट करने की सोच ही रहा था कि मकान के बाहर की गली में किसी बेचनेवालों की आवाज मेरे मानस-पटल से टकराई- ले लो, भाई ! ले लो !! सिर्फ़ 60 रुपये में सपरिवार बैठकर भरपेट खाओगे !
मैं इसे नजरअंदाज कर फ़ेसबुक पर पोस्ट करने को लेकर फिर सोचने लगा कि फिर से वही आवाज मेरे कानों टकराई…. शायद वो विक्रेता मेरे दरवाजे के ग्रिल को नॉक करने लगा था…. मेरी विचार-तंद्रा टूटी, सोचा- नियोजित शिक्षक के रूप में मुझे कई महीनों का वेतन नहीं मिला है. अच्छा ही है कि कोई डिब्बेवाला अगर इस महँगाई में सिर्फ़ 60 रुपये में ही सपरिवार भरपेट भोजन करा देते हैं ! घर पर 6 सदस्य भी तो है. तब मैंने उसे वहीं से आवाज़ लगाई-
वहीं ठहरो, भाई ! मैं अभी आकर गेट खोलता हूँ….
लुंगी को ठीक से व्यवस्थित कर मैं बाहर आया, तो देखा- उनके पास खाने के डिब्बे नहीं, अपितु ताड़ व खजूर के पत्ते, कुश आदि की कई रंग-बिरंगे चटाइयाँ थी !
मैंने उसे टोक ही दिया- ये क्या है ? खाने की सामग्री कहाँ है ? अभी तो तुम आवाज लगा रहे थे कि सिर्फ़ 60 रुपये में सपरिवार बैठकर भोजन करेंगे ! परंतु यहाँ तो चटाई देख रहा हूँ….
इस प्रश्न पर उन्होंने सीधा-सपाट जवाब दिया-
मेरे कहने का मतलब यह था कि चटाई बहुत बड़ी है, जो सिर्फ़ 60 रुपये में मिल रही है…. यह इतनी बड़ी है कि दस व्यक्ति भी इसपर बैठकर खा सकते हैं…. सर, मैंने तो यही सोचकर आवाज लगाई थी !
…. और इसे सुन मुझे अब अपने पर ज्यादा ही गुस्सा आने लगा था. कुछ अनहोनी मेरे हाथों न हो जाय, इसलिए उस चटाई विक्रेता को अँगुली के इशारे से वहाँ से रुख़सत होने को कह मैं वापस पैर अपने बेडरूम में आ गया….. बेडरूम के आलमारी के रैक पर रखा दादाकालीन रेडियो से भारतीय गरीबी पर रिसर्च को लेकर इस साल के अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार विजेता के बारे में समाचार प्रसारित हो रहा था….

Language: Hindi
1 Like · 398 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
DrLakshman Jha Parimal
अक्सर हम ऐसा सच चाहते है
अक्सर हम ऐसा सच चाहते है
शेखर सिंह
"जरा गौर करिए तो"
Dr. Kishan tandon kranti
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
फूल कुदरत का उपहार
फूल कुदरत का उपहार
Harish Chandra Pande
सीरिया रानी
सीरिया रानी
Dr. Mulla Adam Ali
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
💐प्रेम कौतुक-353💐
💐प्रेम कौतुक-353💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धरा पर लोग ऐसे थे, नहीं विश्वास आता है (मुक्तक)
धरा पर लोग ऐसे थे, नहीं विश्वास आता है (मुक्तक)
Ravi Prakash
93. ये खत मोहब्बत के
93. ये खत मोहब्बत के
Dr. Man Mohan Krishna
दुख
दुख
Rekha Drolia
जीवन का सफर
जीवन का सफर
Sidhartha Mishra
फारवर्डेड लव मैसेज
फारवर्डेड लव मैसेज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चुन लेना राह से काँटे
चुन लेना राह से काँटे
Kavita Chouhan
सबसे क़ीमती क्या है....
सबसे क़ीमती क्या है....
Vivek Mishra
■ बस एक ही सवाल...
■ बस एक ही सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
* भैया दूज *
* भैया दूज *
surenderpal vaidya
समय के हाथ पर ...
समय के हाथ पर ...
sushil sarna
#drArunKumarshastri
#drArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
शिकायत नही तू शुक्रिया कर
शिकायत नही तू शुक्रिया कर
Surya Barman
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
Madhuri Markandy
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
"सुनो एक सैर पर चलते है"
Lohit Tamta
23/65.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/65.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं मोहब्बत हूं
मैं मोहब्बत हूं
Ritu Asooja
जनाब बस इसी बात का तो गम है कि वक्त बहुत कम है
जनाब बस इसी बात का तो गम है कि वक्त बहुत कम है
Paras Mishra
कब तक चाहोगे?
कब तक चाहोगे?
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
Lokesh Singh
Loading...