Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2019 · 1 min read

अर्ज किया है।

1 ख्वाब हैं अगर आसमाँ छूने के
अक्ल और मेहनत की
सीढ़ी लगानी होगी।
2 मोहब्बत की बातें
तुमसे कहता में कैसे
मेरे कहने के पहले
तुम तो
उठके चल दिये।

Language: Hindi
234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"जुनून"
Dr. Kishan tandon kranti
उसके कहने पे दावा लिया करता था
उसके कहने पे दावा लिया करता था
Keshav kishor Kumar
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
Subhash Singhai
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
Shweta Soni
शीर्षक - चाय
शीर्षक - चाय
Neeraj Agarwal
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
Dr. Man Mohan Krishna
शाही महल की दुर्दशा(लेख)
शाही महल की दुर्दशा(लेख)
Ravi Prakash
नदी का विलाप
नदी का विलाप
Godambari Negi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
चुनावी घनाक्षरी
चुनावी घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
क़तरा क़तरा कटती है जिंदगी यूँ ही
क़तरा क़तरा कटती है जिंदगी यूँ ही
Atul "Krishn"
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
Vandna Thakur
अल मस्त फकीर
अल मस्त फकीर
Dr. P.C. Bisen
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बारिश ने क्या धूम मचाया !
बारिश ने क्या धूम मचाया !
ज्योति
नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि,
नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि,
Harminder Kaur
సూర్య మాస రూపాలు
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
दीपक झा रुद्रा
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
मुझे भूल गए न
मुझे भूल गए न
मधुसूदन गौतम
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
Rituraj shivem verma
बदलता बचपन
बदलता बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बड़े अजब हालात हैं ख्वाहिशों के बाजार के ।
बड़े अजब हालात हैं ख्वाहिशों के बाजार के ।
Ashwini sharma
#हौंसले
#हौंसले
पूर्वार्थ
Loading...