अर्चना वेंड्स संजू
रात का वक़्त, ट्रेन की गति अपने पूरे शबाब पर थी। डिब्बे में लगभग सभी यात्री सो गये थे, केवल अर्चना की आँखों में नींद नहीं थी।
इधर संजू भी तो नहीं सोया था कुछ देर किताबों में सर खपाने के बाद संजू बोगी का जायजा लेने लगा।
अर्चना को देखकर संजू सोचने लगा, सभी यात्री सो रहे पर यह औरत अब तक भला क्यों जग रही है। रहा नहीं गया तो संजू ने पूछ ही लिया- ” कोई बात है क्या मैम? जो आप सो नहीं रहीं।”
अर्चना संजू से मुखातिब हुई— जी नहीं। बस यूं ही! कुछ पुरानी बातें सोच रही थी जिस कारण नींद नहीं आ रही।
आपको देख कर एक पुराना मित्र याद आ गया।
संजू आश्चर्य से बोला– “मुझे देख कर?”…. कौन था वह ? क्या नाम था आपके मित्र का?
जी संजू…! प्यार से सब रेड्डी बुलाते थे उसे। बहुत ही प्यारा मित्र था वह मेरा। आपको देखकर लगा जैसे उसे ही देख रही हूँ। वही आँखें, वही चेहरा. .. अर्चना बताये जा रही थी
तभी बीच में रोक कर संजू बोला- “लेकिन आप ने अपने बारे में कुछ नहीं बताया। आप का नाम और आप हैं कहाँ से?”
छोड़िए इन बातों को, क्या करियेगा जान कर।
संजू- कहीं आप अर्चना तो नहीं?
प्रश्न भरी नज़रों से घूरते हुए संजू ने पूछा!
जी—- मेरा नाम आपको कैसे पता?
जब अर्चना संजू को पहचान सकती है, तो क्या संजू अर्चना को नहीं पहचान सकता!
कुछ पल की स्तब्धता के बाद — (इन कुछ पलों में दोनों एक दूसरे को देखते हुए जैसे बीते दिनों को यादों में खो गये।)
संजू – “पर आप सफेद साड़ी में…?बिना श्रृंगार के— कैसे?
संजू! शादी के चौथे दिन ही मेरे पति का स्वर्गवास हो गया। वो सरकारी नौकरी में थे अतः उनकी जगह मुझे नौकरी मिल गयी।”
“पर आप कहाँ से आ रहे हैं?”
संजू- “जी मैं भी बैंगलोर मे ही रहता हूँ। प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत हूँ, और आज घर जा रहा हूँ।”
“और आपका परिवार… बाल बच्चे…? अर्चना ने पूछा!
संजू – “कौन से बच्चे? कैसा परिवार? मैनै शादी नहीं की। अपने माता-पिता के साथ रहता हूँ, अभी उनके ही पास जा रहा हँ।”
“आपने शादी क्यों नहीं की?”
संजू- “क्या बताऊं जो पसंद थी उसे बोलने का मौका नहीं मिला। बाद में कहीं और कोई हमें लुभा न सकी, बस इतनी सी है अपनी राम कहानी।
“कौन थी वह लड़की….? जिसके लिए आप ने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया।”
संजू- “जी छोड़िए भी, क्या फायदा अब उस कथानक को छेड़कर।”
“अब बता भी दीजिए, आपको हमारी कसम।”
संजू- “थी एक लड़की, अर्चना नाम था।”
यह सुनकर अर्चना की आँखें डबडबा आईं। रुंधे गले से बोली — “तब क्यों नहीं बोला आपने?”
संजू – “चलो!! तब नहीं बोल सका, पर अब भी तो कुछ नहीं बिगड़ा, अब बोल देता हूँ- अर्चना मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ। क्या तुम…. तुम मुझसे शादी करोगी…?
अर्चना बस रोये जा रही थी। इनकी बातों के सिलसिले के सागर में गोता लगाते हुए कब सुबह हो गई इन्हे भी पता नहीं चला ।
ट्रेन अपने गंतव्य पर आ पहुंची थी। यहाँ से फिर दोनों को जुदा हो जाना था। पर संजू ने यह निर्णय लिया कि अब और नहीं, वह अर्चना के साथ ही उसको छोड़ने उसके ससुराल गया। सारी बातें अर्चना के ससुराल वालों को बताई—
तो दोस्तो हम आपको भी निमंत्रण देते हैं
अर्चना
वेड्स
संजू
अपना आशीर्वाद दोनों को अवश्य दीजियेगा।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’