अरे ये कौन नेता हैं, न आना बात में इनकी।
अरे ये कौन नेता हैं, न आना बात में इनकी।
पलट जाना मुकर जाना, लिखा है जात में इनकी।
कटोरा भीख का ले जब, चुनावी दौर में आएँ,
चटाना धूल तुम इनको, यही औकात है इनकी ।
जरूरत वोट की हो जब, गले लगते गरीबों के।
दिखाते भाव कुछ ऐसे, मसीहा हों गरीबों के।
नजर हटते पलट जाते, जरा देखो हँसी उनकी,
भिखारी से चले आते, भले बनते गरीबों के।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद