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9 Jan 2021 · 1 min read

“”अरे मौसम ने ली फिर अंगड़ाई””

अंबर घटाएं है छाई,अरे मौसम ने ली फिर अंगड़ाई।।
शीतलहर के ठंडे दिनों में, सावन की यादें लौट आई।।
(१)
झिरमिर झिरमिर बरस रही है, बूंदों की नन्ही लड़ियां।
तन को भिगोए, मन हर्षाए,सुखद सुहानी सी घड़ियां।
ऐसे में अंतर्मन ने, खुशियां दोहरी पाई।।
अंबर घटाएं है छाई, अरे मौसम ने ली फिर अंगड़ाई।।
( अगले चरण फिर लिखूंगा)
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 293 Views
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