अरे ओ हसीना तू
अरे ओ हसीना तू सोचती है क्या।
यही कि मैं तुमको प्यार करता हूँ।।
लेकिन तुम्हारा यह सोचना गलत है।
कि तुमपे दिल अपना वार करता हूँ।।
अरे ओ हसीना तू ———————।।
मैं वो अली नहीं जो, डोलता है कलियों पे।
मैं वो दीवाना नहीं जो, घूमता है गलियों में।।
अरे ओ हसीना तू , समझती है क्या।
यही कि मैं तुमपे एतबार करता हूँ।।
अरे ओ हसीना तू ———————।।
मालूम नहीं है तुमको, आदमी हूँ कैसा मैं।
तुम सी हसीनाओं पे , होश नहीं खोता मैं।।
अरे ओ हसीना तू , मानती है क्या।
यही कि मैं तेरा दीदार करता हूँ।।
अरे ओ हसीना तू ———————।।
मेरी सलाह है इतना श्रृंगार करो नहीं।
तुम बेहूदी में दामन, बेजार करो नहीं।।
अरे ओ हसीना तू , जानती है क्या।
यही कि मैं तेरा इंतजार करता हूँ।।
अरे ओ हसीना तू ———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)