अ से ज्ञ तक पढ़ लिख जाओ
अ अरे आदमी तुझे क्या हुआ,
आ आज बता क्यों है चकराया।
इ इतना पागलपन क्यों छाया।
ई ईटों के आवास बनाया।।
उ उर में क्यों तू बस न पाया।।
ऊ ऊधम तौबा हाय मचाया।।
ऋ ऋण ले लेकर फिर झुठलाया।।
ए एक बार क्या सोचा तूने।
ऐ ऐनक साफ किया क्या तूने।
ओ ओछापन क्या छोड़ा तूने।
औ और स्वयं को समझा तूने।।
अं अंत साथ क्या ले जाओगे।
अ: अ: ह: ह: क्या हँस पाओगे।।
क कर्म छोड़कर काम मे खोया।
ख खरी-खरी बातें सुन रोया।।
ग गम से फुर्सत कब पाओगे।
घ घमंड में ही मर जाओगे।।
ङ ङ से क्या शुरू करोगे।।
च चल कर कुछ आगे भी देखो।
छ छल बल छोड़ सत्य भी लेखो।।
ज जलन ईर्ष्या ठीक नहीं है ;
झ झगड़ा से मुख मोड़ विलेखो।।
ञ ञ शब्द के बीच विशेखो।।
ट टर्र-टर्र क्यों बात-बात पर।
ठ ठग बाजी करते क्यों दिन भर।
ड डर-डर क्यों जीते हो मर-मर।
ढ ढकोसलों का छोड़ दे चक्कर।।
ण ण वर्ण का उच्चारण कर।।
त तम से बाहर आओ निकलो।
थ थक जाओ तो थोड़ा रुक लो।।
द दर्द दीन का अनुभव कर लो।
ध धर्म प्रेम का जरा समझ लो।
न नकली-असली फर्क जान लो।।
प पद का दुरुपयोग मत करना।
फ फर्ज सदा तुम पूरा करना।
ब बल बुद्धि का अहं न करना।।
भ भलीभांति तुम करो भलाई।
म मत करना तुम कभी बुराई।।
य यथा शक्ति दान कर जाओ।
र रक्तदान सेवा कर पाओ।।
ल लक्ष्य मार्ग से नहीं भटकना।
व वचन दिया तो नहीं बदलना।।
श शक बीमारी मन मत रखना।
ष षडयंत्रों में कभी न फँसना।।
स सदा सत्य का साथ निभाना।
ह हर हालत धीरज रख पाना।।
क्ष क्षमा शीलता उर रख ‘कौशल’;
त्र त्रस्त जीव को साहस देना।
ज्ञ ज्ञप्ति ज्ञान हासिल कर लेना।।
अ आ इ ई स्वर हिन्दी के
क ख ग व्यंजन पहचानो।
अ से ज्ञ तक पढ़ना लिखना
कितना सुंदर अद्भूत जानो।।
अतिशयोक्ति इसमे न कोई
हिन्दी भाषाओं की रानी ;
‘गर हम पढ़ लिख बोलें हिन्दी
बने विश्व की भाषा मानो।।
‘कौशल’