अरुणोदय
अरूणोदय की बेला आयी
कली कली डाली मुस्काई
ओस विन्दु मिट गए धरा के
प्रातःकाल सुखद सुहाई
काली रात दूर है दुख सी
फिर सुख सी बेला आई
प्राची में प्रकाश दिख रहा
चिड़ियो मे कोलाहल सुनाई।
भौरे मुदित मना है देखो
पल्लव मे स्मित है आई।
धरा शस्यश्यामला पूरित
फूल फूले नही समाई।
उदय सूर्य का होता है तब
बीती रात प्रात जब आई।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र