अरसात सवैया
अरसात सवैया- (भगण×7+रगण)
पावनता घर द्वार बढ़े मम, माँ घर में जब आप विराजती।
धूप सुवासित हो घर आँगन,दीप जला करते तव आरती।
कीर्तन पूजन भक्त करें जब,माँ उनके सब काज सँवारती।
छाँदस ज्ञान प्रदान करो अब,कंठ विराजहु आ सुर भारती।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय