अरविंद सवैया छन्द।
– अरविंद सवैया छन्द।
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धन-धान मिला बहु मान मिला, पर छूट गया हमसे शिव धाम।
जब जीवन युद्ध बना तब तो, बस नित्य किये हम काम हि काम।
हम यौवन के मद चूर हुए, अरु भूल गए हिय से प्रभु नाम।
जब बृद्ध हुए बलहीन हुए, तब याद रहा नित राम हि राम।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’