Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2020 · 1 min read

— अरमान बहुत – खुशियाँ कम –

खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं
जिस को देखो यहाँ परेशां बहुत हैं

दूर से नजर मारी तो शान बहुत है
पास जाकर देखा तो रेत ही बहुत है

सच का तो कोई मुकाबला नही यहाँ
पर झूठ का बोलबाला बहुत है

आदमी ही यहाँ मिलता है बमुश्किल से
कहने को शहर भर में इंसान बहुत हैं

जिससे मिले उस की फितरत अलग है
आज लालच से भरा इंसान बहुत है

करना चाहता नही जो काम हाथों से
क्यूं की चलने को उस की जुबान बहुत है

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

1 Comment · 299 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हम शिक्षक
हम शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
रंग बिरंगी दुनिया होती हैं।
रंग बिरंगी दुनिया होती हैं।
Neeraj Agarwal
😑😭👋😥😬 इस दुनिया में वफ़ा करने वालों की कमी नहीं, बस प्यार ही उससे हो जाता है जो बेवफा हो। 😑😭👋😥😬
😑😭👋😥😬 इस दुनिया में वफ़ा करने वालों की कमी नहीं, बस प्यार ही उससे हो जाता है जो बेवफा हो। 😑😭👋😥😬
Sageer AHAMAD
..
..
*प्रणय*
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
*तुम अगर साथ होते*
*तुम अगर साथ होते*
Shashi kala vyas
नवदुर्गा
नवदुर्गा
surenderpal vaidya
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
Manisha Wandhare
कलियों सी मुस्कुराती
कलियों सी मुस्कुराती
Anand Kumar
2951.*पूर्णिका*
2951.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
सत्य कुमार प्रेमी
इन दिनों शहर में इक अजब सा माहौल है,
इन दिनों शहर में इक अजब सा माहौल है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
Manisha Manjari
"हद"
Dr. Kishan tandon kranti
मार मुदई के रे
मार मुदई के रे
जय लगन कुमार हैप्पी
अधिकार जताना
अधिकार जताना
Dr fauzia Naseem shad
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
Neelofar Khan
DR अरूण कुमार शास्त्री
DR अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
एकरसता मन को सिकोड़ती है
एकरसता मन को सिकोड़ती है
Chitra Bisht
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अनकहा दर्द (कविता)
अनकहा दर्द (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
शीर्षक: बाबुल का आंगन
शीर्षक: बाबुल का आंगन
Harminder Kaur
प्रिये ! अबकी बार तुम्हारे संग, दीपावली मनाना चाहता हूँ....!
प्रिये ! अबकी बार तुम्हारे संग, दीपावली मनाना चाहता हूँ....!
singh kunwar sarvendra vikram
जिस यात्रा का चुनाव
जिस यात्रा का चुनाव
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नर जीवन
नर जीवन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
Loading...