अम्बर छू लूं
सावण आली तीज है, बीरा आवै आज
काले- काले मेघ है हरियाली को राज
झूला झूलूं पीग मैं, अम्बर छूं लूं आज
उड़- उड़ जाने को जिया, आतुर मन आवाज
पीहर जाकर गाँव में, झूलूंगी मैं झूल
पीपल वाली झूल पे, गई जिन्हें मैं भूल
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा