Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2021 · 1 min read

अम्बर का दरबार !

बड़ी खलबली मची थी अम्बर के संसार में
छिड़ा हुआ था विवाद चाँद सूरज के साथ दरबार में
भला कैसे करूँ चयवन दोनो के मध्यान में
बनती दोनो से ही शान मेरे आसमान में !!
ना कोई छोटा है ना बड़ा फिर मेरे दरबार में

सूरज देता नया सवेरा तो चाँद देता सपनों को सेहरा
सूरज देख खिलती वसुंधरा तो चाँद देख शर्माता अंधियारा
दोनो से ही सजता मेरा आँगन बिन दोनो न होगा मेरा गुज़ारा !

प्रभाकर अकेला चमकता है ,तो तारों संग महफ़िल सजाता निशाकरा
एक दिखाता नई राह ,एक नई चाहों की राहें बुन जाता
दोनो को सजदा करते सबके हाथ तभी तो होता मेरा भी सत्कार
कैसे कहूँ फिर छोटा बड़ा ?सजता दोनो से ही मेरा दरबार !

तभी आया घूमते हुए एक बादल , काला घना और पानी से भरा ,
मुझको देख छुप जाते तुम्हारे चाँद सूरज न आता नज़र उनका चेहरा
मैं छँट जाऊँ तभी होता साँझ सवेरा
तो फिर बताओ हुआ कौन छोटा और कौन बड़ा ?

तुम भी घबराओ मत , तुम हो तो मिली इनको पनहा
तुमने चाहा तो नाम मिला इन्हें इतना ,
नहीं तो घूमते हैं लाखों चाँद सितारे तनहा तनहा
सब साथहैं तो बात है छोटा बड़ा तो क़िस्मत की बात है
बस क़िस्मत की बात है !!!

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
दिन की शुरुआत
दिन की शुरुआत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ढलता वक्त
ढलता वक्त
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
हम तो मतदान करेंगे...!
हम तो मतदान करेंगे...!
मनोज कर्ण
गुरूर चाँद का
गुरूर चाँद का
Satish Srijan
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
बेकरार दिल
बेकरार दिल
Ritu Asooja
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
surenderpal vaidya
कौआ और बन्दर
कौआ और बन्दर
SHAMA PARVEEN
शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष,
शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष,
Atul "Krishn"
अटल-अवलोकन
अटल-अवलोकन
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
World Environment Day
World Environment Day
Tushar Jagawat
नज़राना
नज़राना
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
योग का एक विधान
योग का एक विधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
" ढले न यह मुस्कान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मेरी ख़्वाहिश ने
मेरी ख़्वाहिश ने
Dr fauzia Naseem shad
शिव रात्रि
शिव रात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
-- जिंदगी तो कट जायेगी --
-- जिंदगी तो कट जायेगी --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
Rj Anand Prajapati
वृक्ष किसी को
वृक्ष किसी को
DrLakshman Jha Parimal
"मत पूछो"
Dr. Kishan tandon kranti
23/77.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/77.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
About [ Ranjeet Kumar Shukla ]
About [ Ranjeet Kumar Shukla ]
Ranjeet Kumar Shukla
■ कोशिश हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी।।
■ कोशिश हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी।।
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
Ajad Mandori
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...