अम्न का पैग़ाम ले दिलशाद आया
अम्न का पैग़ाम ले दिलशाद आया
इस जहाँ के वास्ते उस्ताद आया
इस दफ़अ पंछी तड़पते भूख से हैं
आबोदाना ले के इक सय्याद आया
उम्र सारी ही भुगतना है मुझे अब
उसकी नज़रों में दिले-बरबाद आया
मुद्दतों के बाद मिलने आ गया है
कोई मतलब आ पड़ा जो याद आया
जा रहा था तू मेरी आँखें भी नम थीं
अश्क़ का सैलाब तेरे बाद आया
मिल गया होगा उसे धोका किसी से
याद उसको फिर दिले-नाशाद आया
तेज़ था तूफ़ान बिछड़े क़ाफ़िले से
वो अकेला ही वहाँ से शाद आया
जाते-जाते जाँ बची है दुश्मनों से
हो गया हमला उसी के बाद आया
ये समझदारी नहीं ‘आनन्द’ देखो
बोझ सारा उसके सर पर लाद आया
– डॉ आनन्द किशोर