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31 Aug 2022 · 1 min read

अमृता प्रीतम

बिन कहे
बिन सुने
बिना उम्मीद के
जो उम्र भर रहा
वो एहसास
कितना प्यारा था
चढ़ के कभी
न उतरा जो
वो रंग इश्क़ का
आह !
कितना गाढ़ा था।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
8 Likes · 276 Views
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