‘अमीर-ग़रीब’
सुनो कहानी अमीर और गरीब की,
दुनिया के दो इंसानों के नसीब की।
एक बदलता है दिन में कई वस्त्र ,
दूसरे को रहना पड़ता है निर्वस्त्र।
एक फेंकता है अन्न कचरे में रोज़,
दूसरे को मिल न पाता कभी भोज।
एक का शयन है महल अटारी,
दूजे को कुटिया भी मिलनी भारी।
अमीर को मिलता कभी सुकून नहीं,
गरीब को सुकून है पर धन नहीं।
हे ईश्वर रची है लीला ये कैसी न्यारी,
कोई है राजा यहाँ और कोई है भिखारी।