अमिर -गरीब
कोई पैसों की गद्दी पर सोता हैं,
तो कोई गद्दी खरीदने के लिये पैसों के लिये
तरसता हैं,
कोई पाच पक्वान्न बनाकर फेंक देता हैं,
तो कोई एक रोटी के लिये रोता हैं,
कोई आलिशान घरों में रहता हैं,
तो कोई फुटपाथ पें अपनी जिन्दगी
गुजार देता हैं,
कोई डिझायनर कपडे पहनता हैं,
तो कोई पुराने कपडें के लिये तरसता हैं,
कोई महंगी महंगी गाडी़यों में घुमता हैं,
तो कोई पेट पालने के लिये हातगाडी
चलाता हैं,
अमिर के पिछे तो लाखों दौड़ते हैं……
गरीब लाखों के पिछे दौड़ता नजर आता हैं,
अमिर -गरीब का ये फर्क , तो सबको
दिखाई देता हैं……
पर इंसान ही…. इंसान की इंसानियत से
क्यों मुँह फेर लेता हैं………
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