अमावस के जैसा अंधेरा है इस दिल में,
अमावस के जैसा अंधेरा है इस दिल में,
पूनम के जैसी रोशनी है तुम्हारी,
समंदर के जैसे मझधार है इस दिल में,
सहारे के जैसी कस्ती है तुम्हारी,
मुझमे हर लम्हा तुम हो,
हर कतरे में तुम्हारा ही अहसास है,
लिख दी तुम्हारे नाम अब ये ज़िंदगी भी तुम्हारी।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी