Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Nov 2021 · 1 min read

परम साहस से नाविक पार, नौका को

परम साहस से नाविक पार, नौका को
लगाता है (मुक्तक)
—————————————————–
अमावस में जला दीपक, हमें यह सच बताता
है
बिना चंदा के भी जग में, उजाला हो ही जाता
है
भले तूफान में भारी, फॅंसे मंझधार में आकर
परम साहस से नाविक पार, नौका को
लगाता है
**********************************
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
168 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
कभी हमको भी याद कर लिया करो
कभी हमको भी याद कर लिया करो
gurudeenverma198
चाहत अभी बाकी हैं
चाहत अभी बाकी हैं
Surinder blackpen
पिता का गीत
पिता का गीत
Suryakant Dwivedi
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
कवि दीपक बवेजा
हालातों से युद्ध हो हुआ।
हालातों से युद्ध हो हुआ।
Kuldeep mishra (KD)
बधाई
बधाई
Satish Srijan
(वक्त)
(वक्त)
Sangeeta Beniwal
लोगों के रिश्तों में अक्सर
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
Jogendar singh
पर्वत के जैसी हो गई है पीर  आदमी की
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
Manju sagar
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25
Kshma Urmila
खूब  उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
Sanjay ' शून्य'
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
पंकज कुमार कर्ण
*जग से जाने वालों का धन, धरा यहीं रह जाता है (हिंदी गजल)*
*जग से जाने वालों का धन, धरा यहीं रह जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माँ तुम याद आती है
माँ तुम याद आती है
Pratibha Pandey
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क्यों सिसकियों में आवाज को
क्यों सिसकियों में आवाज को
Sunil Maheshwari
4574.*पूर्णिका*
4574.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
Shweta Soni
..
..
*प्रणय प्रभात*
मात पिता का आदर करना
मात पिता का आदर करना
Dr Archana Gupta
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
कवि रमेशराज
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
Shyam Sundar Subramanian
गीत
गीत
Shiva Awasthi
I got forever addicted.
I got forever addicted.
Manisha Manjari
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
प्रकट भये दीन दयाला
प्रकट भये दीन दयाला
Bodhisatva kastooriya
कुंडलिया - होली
कुंडलिया - होली
sushil sarna
Loading...