अमलतास के फूल
अमलतास के फूल
कुण्डलिया-१
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ग्रीष्म ऋतु की शान हैं, अमलतास के फूल।
सुन्दर आकर्षण भरे, कहीं न कोई शूल।
कहीं न कोई शूल, हरी शोभित शाखाएं।
झूल रही है खूब, हवा महकाती जाएं।
कह सुरेन्द्र यह बात, लगेगी नहीं बेतुकी।
पीत वर्ण के पुष्प , हैं शोभा ग्रीष्म ऋतु की।
कुण्डलिया-२
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सबके घर का वैद्य है, सबके आता काम।
देखभाल इसकी करें, अमलतास है नाम।
अमलतास है नाम, अनेकों रोग मिटाए।
करता शक्ति प्रदान, कफ पित्त रोग भगाए।
कह सुरेन्द्र यह सत्य, सुखी जीवन की डगर का।
अति उत्तम यह पेड़, सहायक सबके घर का।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)