अमर सुभाष
अमर सुभाष
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देश प्रेम की मशाल , थाम चला सिंह चाल ,
नरश्रेष्ठ सूरवीर , भारती का लाल था ।
नाम था सुभाष बोस , जिस्म में भरा था जोश ,
बना था फिरंगियों का , जैसे वह काल था ।।
दे दो तुम खून मुझे , दू्ंगा मैं आजादी तुम्हें ,
तेरे हौंसले को देख , देश ये निहाल था ।
नमन सुभाष तुझे , शीश झुका देश करे ,
विश्व में मिले न कहीं , ऐसी तू मिसाल था ।।
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अपनी बनाई फौज , धरती विदेश की थी ,
भर के हुंकार चला , फौजियों के वेश में ।
घोषित आजाद किया , भारत सुभाष तू ने ,
तुझ सी सामर्थ्य नहीं , किसी भी नरेश में ।।
राजनीति कूटनीति , कैसी हो दिखाई तू ने ,
अमर आजाद हिन्द , आज भी विदेश में ।
बन के पहेली एक, चला गया जाने कहाँ ,
अमर सुभाष नाम , ‘नेताजी’ है देश में ।।
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-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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