Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2019 · 1 min read

अमर्यादा

एक अशांत महिला कर्मी
उसके बातों में नही थी नर्मी
शायद कामों की अधिकता से थी परेशान
लोगों की बातों पर नही दे रही थी ध्यान
इसपर ग्राहकों को गुस्सा आया
उल्टी -सीधी बात सुनाया
इतने में बैंक में मची अफरा-तफरी
किसी ने उछाल दी महिला की पगड़ी
महिला हुई शर्मसार
अपनी कर्मों की हुई शिकार।

Language: Hindi
1 Like · 390 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from साहिल
View all
You may also like:
गुरु महादेव रमेश गुरु है,
गुरु महादेव रमेश गुरु है,
Satish Srijan
*प्रेमचंद (पॉंच दोहे)*
*प्रेमचंद (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
वही खुला आँगन चाहिए
वही खुला आँगन चाहिए
जगदीश लववंशी
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
महल था ख़्वाबों का
महल था ख़्वाबों का
Dr fauzia Naseem shad
चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
Vinit kumar
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
Rj Anand Prajapati
"जीवन का प्रमेय"
Dr. Kishan tandon kranti
हे ! अम्बुज राज (कविता)
हे ! अम्बुज राज (कविता)
Indu Singh
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
कवि रमेशराज
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
Anil chobisa
2712.*पूर्णिका*
2712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
Shweta Soni
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
भारत
भारत
Bodhisatva kastooriya
सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात  ही क्या है,
सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात ही क्या है,
Shreedhar
कोशिश
कोशिश
विजय कुमार अग्रवाल
कुछ इनायतें ख़ुदा की, कुछ उनकी दुआएं हैं,
कुछ इनायतें ख़ुदा की, कुछ उनकी दुआएं हैं,
Nidhi Kumar
मुझे अब भी घर लौटने की चाहत नहीं है साकी,
मुझे अब भी घर लौटने की चाहत नहीं है साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
Priya princess panwar
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
* भावना स्नेह की *
* भावना स्नेह की *
surenderpal vaidya
जब कभी  मिलने आओगे
जब कभी मिलने आओगे
Dr Manju Saini
आँखों से नींदे
आँखों से नींदे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तन्हायी
तन्हायी
Dipak Kumar "Girja"
बदलता दौर
बदलता दौर
ओनिका सेतिया 'अनु '
■ आज नहीं अभी 😊😊
■ आज नहीं अभी 😊😊
*प्रणय प्रभात*
प्यार के मायने
प्यार के मायने
SHAMA PARVEEN
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Loading...