अमत्ता घनाक्षरी
अमत्ता घनाक्षरी
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सजल नयन जब,
हृदय विकल तब,
खुश रख तन-मन,
भगवन जप कर ।
पवन सुखद चल,
बरस जलद जल,
सरस हृदय पर,
हर पल सुख भर ।
नमन शिवम कर,
उर शिव मह धर,
निशि दिन दुख हर,
भव चल अब तर।
नव गढ़ पथ सत,
जहर उगल मत,
मधुर वचन कह,
डर डर मत मर।
सीमा शर्मा ‘अंशु’