अभी वक्त है मुस्काने का मुंह लटकाए क्यों बैठे हो
अभी वक्त है मुस्काने का मुंह लटकाए क्यों बैठे हो
रहो फूल से खिले सदा तुम यूं मुरझाए क्यों बैठे हो
हां मत रहना इस भ्रम तुमको कोई और सहारा देगा
सीना तान रहो दूनियां में नयन झुकाए क्यों बैठे हो
अभी वक्त है मुस्काने का मुंह लटकाए क्यों बैठे हो
रहो फूल से खिले सदा तुम यूं मुरझाए क्यों बैठे हो
हां मत रहना इस भ्रम तुमको कोई और सहारा देगा
सीना तान रहो दूनियां में नयन झुकाए क्यों बैठे हो