Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2023 · 2 min read

#अभी रात शेष है

✍️

★ #अभी रात शेष है ★

पुन: स्मरण करें आज
कैसे देश श्मशान हुआ था
पंख काटकर सोन-चिरैया के
स्वतंत्रता का गान हुआ था
बलिदानी शव बने थे सीढ़ी
लगाम थामना आसान हुआ था
सूरज उगते बदला नहीं दिनांक
बीच रात स्वामी गुणगान हुआ था

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

नर्म गद्दों पर भारत की खोज उधर
इधर आकाश चूमता लाशों का अंबार
लाठी गोली फांसी माँ के सपूतों को
गोलमेज़ पर बैठे वार्ताकार यार
घर छिनने लुटने की खुशी मनाएं वो
नहीं धरती से जिनका सरोकार
काला पानी की कंदराओं में क़ैद भारत
हंसता इंडिया निभा रहा है भाईचार

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

स्तन कटे माताओं-बहनों के
युवती बाला बालिका करतीं चीत्कार
धरती से उखड़ गए धरती के लाल
व्यर्थ रही गूँजती चीख-पुकार
और यह अंत नहीं था नासूर का
फैलता अंग-अंग धरता स्वआधार
निर्लज्ज हत्यारिन कानी यह सत्ता
बापू चाचा दोनों हुए सवार

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

जब जेहलम का रंग लाल हुआ
छिन गया गुरु का ननकाना
ढाकेश्वरी पुत्रों के रक्त से नहा गई
रामसुत का लवपुर हो गया बेगाना
दुर्जनों को आँच लगी जब लगने
खिलाफती खेल खेल गया मनमाना
कुत्सित अँधी वासना का कीड़ा
सब सत्ताधीशों का जाना-पहचाना

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

आग लगी रावी चिनाब के पानी में
बुझी नहीं अभी है जल रही
भूखी-प्यासी जनता बेचारी
वादों के अंगारों पर चल रही
अभी रात शेष है अंधियारी
यह बात हवा ने कल कही
यह जो दिख रहा प्रकाश है
सपनों की चिता है जल रही

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

चमड़ी का रंग बदला सत्ताधीशों का
धरा तप रही अभी कैसे चरण धरें
विश्वगुरु को लांछित कर रही
पामारों की रीति-नीति का वरण करें
हम दास कभी थे औरों के
इसी कारण पुन:-पुन: स्मरण करें
विषैली मन:स्थिति जो दासता की
सबसे पहले इसका मरण करें

पुनः स्मरण करें आज . . . . .

भाषा-भूषा सब स्वदेशी हो
माँ भारती के गीत गाएं हम
हिंदी हैं हम वर्ण कर्मानुसार
सागर की लहरों-से मिल जाएं हम
जो कट गए जो बंट गए
वो सब वापिस लौटाएं हम
न कुरेदें रिसते ज़ख़्मों को
राम का राजतिलक-दिवस मनाएं हम . . . !

पुन: स्मरण करें आज . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नाकाम किस्मत( कविता)
नाकाम किस्मत( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
नए साल की मुबारक
नए साल की मुबारक
भरत कुमार सोलंकी
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
अभिनव अदम्य
■ क़ायदे की बात...
■ क़ायदे की बात...
*प्रणय प्रभात*
कृपया सावधान रहें !
कृपया सावधान रहें !
Anand Kumar
अब देर मत करो
अब देर मत करो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
राजनीति का नाटक
राजनीति का नाटक
Shyam Sundar Subramanian
3343.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3343.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
फ़ासले
फ़ासले
Dr fauzia Naseem shad
I can’t be doing this again,
I can’t be doing this again,
पूर्वार्थ
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
कार्तिक नितिन शर्मा
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
माफ करना मैडम हमें,
माफ करना मैडम हमें,
Dr. Man Mohan Krishna
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*बारिश का मौसम है प्यारा (बाल कविता)*
*बारिश का मौसम है प्यारा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
उसके कहने पे दावा लिया करता था
उसके कहने पे दावा लिया करता था
Keshav kishor Kumar
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
आहिस्ता चल
आहिस्ता चल
Dr.Priya Soni Khare
अहंकार अभिमान रसातल की, हैं पहली सीढ़ी l
अहंकार अभिमान रसातल की, हैं पहली सीढ़ी l
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
क्या लिखूं
क्या लिखूं
MEENU SHARMA
हर किसी में आम हो गयी है।
हर किसी में आम हो गयी है।
Taj Mohammad
"तुम इंसान हो"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
Sukoon
वह दिन जरूर आयेगा
वह दिन जरूर आयेगा
Pratibha Pandey
दूर की कौड़ी ~
दूर की कौड़ी ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
25 , *दशहरा*
25 , *दशहरा*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सच के साथ ही जीना सीखा सच के साथ ही मरना
सच के साथ ही जीना सीखा सच के साथ ही मरना
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...