अभी बंद है सब रहो यार घर में
अभी बंद है सब रहो यार घर में!
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गये दिन सुहाने कहर है शहर में।
अभी बंद है सब रहो यार घर में।
चलो हाथ धो लें न करना ढिलाई-
अजी सब फंसे हैं कोरोना कहर में।
कठिन है बहुत पर यही है सहारा-
बहेंगे सभी वर्ना इसकी लहर में।
न लगना गले जी न हाथें मिलाना-
अभी तक फंसे हैं करोना भंवर में।
निकलो न घर से जी रहना अकेले-
अभी तक कहर है शहर व नगर में।
डगर में तुम्हारे खड़ा काल देखो-
चलो बात मानों न निकलो सफ़र में।
मिला है जो जीवन ख़ुदा की नियामत-
सचिन बात मानों न फंसना अधर में।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’