अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
अभी नहीं पूछो मुझसे, यह बात तुम।
बनाऊंगा कब अपना हमराह तुझको।।
कब मैं भरूँगा तेरी मांग में सिंदूर।
आऊँगा कब लेने डोली में तुझको।।
अभी नहीं पूछो मुझसे———————।।
जीना नहीं चाहता, अब मैं अभावों में।
चलना नहीं चाहता, अब मैं काँटों में।।
अब चाहिए मुझको फूल मेरी राहों में।
तेरी राह से नहीं है, मतलब मुझको।।
अभी नहीं पूछो मुझसे———————।।
बहुत लहू बहाकर यह, लगाया है चमन।
बहुत दुःखों के बाद यह, आया है अमन।।
क्यों मैं कलह को अब, गले से लगाऊँ।
करना नहीं तुमसे कोई, वादा भी मुझको।।
अभी नहीं पूछो मुझसे———————।।
तेरा तो ख्वाब कोई, टूटेगा नहीं।
तेरा तो कुछ भी कोई, लूटेगा नहीं।।
बर्बादी तो बस, मेरी ही होगी।
सोचूँगा, कब हाथ सौंपना तुझको।।
अभी नहीं पूछो मुझसे———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)