“अभी ध्यान से चलो”
?अभी ध्यान से चलो?
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हारेगा कोरोना यारो , मन से तुम स्वीकारो,
जीत हमारी ही होगी , यही ठान के चलो।
फिर नयी भौर होगी , ख़ुशी हर ओर होगी,
दिन आएंगे सुहाने , सभी मान के चलो।
अपनो से मेल होगा , रिश्तों का ही खेल होगा,
फिर वही दिनचर्या , अरे ! जान के चलो।
पतझड़ ये बीतेगा , बसंत हँस आएगा,
सुंदर नज़ारें होंगे , अभी ध्यान से चलो।
(घनाक्षरी कवित छंद)
?आर.एस.प्रीतम?
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