अभी तुम करलो मनमानियां।
अभी तुम करलो मनमानियां दिल की।
आमाले हिसाब महशर में सबका देखा जाता है।।1।।
क्या बताओगे कितना लिखोगे उस पर।
अल्फाज कम पड़ जायेंगें खुदा तो खुदा होता है।।2।।
अगर गुलों में फूल ना महके खिलकर।
तो वह गुल ए जगह फिर गुलिस्तां कहां होता है।।3।।
जब दरख़्त के पत्ते छांव ना दे अपनी।
तो ये मुसाफिरों के लिए काम का कहां होता है।।4।।
मुकाम ए पता ना पूंछ हमसे ऐ साथी।
बंजारों का ज़िन्दगी में अपना घर कहां होता है।।5।।
यूं ज़िन्दगी में सब ही अच्छा रहता है।
इश्क करने के बाद गम ए हाल सबका होता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ