राजस्थानी
सम्पूर्ण विश्व में है जिण’री, एक अलग ही पहचान,
संविधान में क्यूं नही मिल’रयो, इण ने सम्मान।
गंर आपणी पगड़ी री, आन ने बचाणी है,
तो राजस्थानी ने, संविधान में मिलानी है॥
मान सम्मान री बात, आठै तांही पुग’गी,
दूजी भाषा ने देख’र, राजस्थानी री नाड़की झुकगी।
गंर माथो गर्व सूं उठाणो है,
तो भाषा ने सम्मान दिलाणो है॥
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान
ठि.:- बनेड़ा(राजपुर), भीलवाड़ा, राजस्थान