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9 Oct 2024 · 1 min read

अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।

अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
लिखना है सद्ग्रन्थ, छंद का जो कंगूरा।।
अनुकूलित हो पंथ, नया युग करे प्रतीक्षा।
मिले कलम को मान, स्वयं की महा परीक्षा।।

—- ननकी

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