अभी उतना नहीं लिखता
हृदय में दर्द है जितना अभी उतना नहीं लिखता।
बनावट के वुसुलों पर कोई रिश्ता नहीं टिकता।
दिखावे के लिए सब लोग कहते हैं तुम्हरा हूंँ।
मुसीबत में यहाँ कोई, सगा अपना नहीं दिखता।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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